गुरुवार, 20 सितंबर 2012

लोक कथा में मानव के लिये अदभुत सीख ।

एक तेली प्रतिदिन तेल बेचने जाता था। एक दिन वह बहुत दूर निकल गया और घने जंगल में रास्ता भटक गया था । शाम होने को थी और वह आज के दिन कुछ भी तेल नहीं बेच पाया था । अचानक उसे एक साँप दिखाई दिया पहले वह घबराया किन्तु साँप को वापिस जाता देख वह ठहर गया और साँप की ओर देखने लगा। कुछ ही देर में साँप बिल में गया और तुरन्त एक सोने की मोहर लेकर वापिस आया। जिसे वह वहीं छोड कर वापिस बिल में चला गया। तेली के मन में आया कि आज तो अच्छी दिहाडी निकल गई और मोहर को उठाने ही वाला था कि साँप दुबारा फिर बाहर आ गया साँप को देखकर तेली दौड कर पीछे हटा। लेकिन इस बार फिर साँप ने एक ओर सोने की मोहर वहीं छोड दी इस तरह साँप का यही क्रम चलता रहा और वहाँ पर सोने की मोहरों का ढेर लग गया। जब साँप का निकलना बंद हो गया तो तेली ने सारी सोने की मोहरों को उठाना चाहा लेकिन वह उन्हें किस वस्तु में डाले यही सोच रहा था कि उसे ध्यान आया कि जिस डोलची में तेल लिये है क्यों न उसी में डाल ले, ओर उसने वह तेल वहीं मिट्टी पर गिरा कर सोने की मोहरें उस में डाल ली। और आगे की ओर चलने लगा लेकिन शाम हो रही थी  तो उसने रात को ठहरने के लिये किसी जगह की तलाश शुरू कर दी। कुछ देर चलने के बाद उसे एक गाँव नज़र आया। वह गाँव में गया सामने वाले घर में जाकर कहा कि मुझे रात को ठहरने के लिये जगह दे देंवे।

 

घर का मालिक जो कि जाति से बनिया था बोला कि आप कौन हैं,कहाँ से आये हैं और क्या काम करते हैं। तेली ने जवाब दिया कि वह तेली है और हर रोज़ तेल बेचता है लेकिन आज उसका तेल भी नहीं बिका और वह जंगल में भटक गया इसलिये घर नहीं जा सका। बनिये ने उसकी परेशानी को समझते हुये उस पर विशवास करके उसे घर में पनाह दे दी। रात को तेली को खाना खिला कर सुला दिया गया। जब आधी रात हुई थी कि बनिये के घर में बहु को बच्चा हुआ और दाई ने तेल माँगा। लेकिन बनिये के घर में तेल नहीं था बनिये को तभी याद आया कि तेली के पास तो तेल जरूर होगा उसने जाकर तेली की डोलची में तेल देखा तो हैरान रह गया कि उसमें तेल नहीं सोने की मोहरें थी। उसने सोचा तेली ने झूठ बोला है तो क्यों न मोहरें चुरा लें और बनिये ने सारी मोहरें चुरा ली और मोहरों की जगह गाँव से तेल लाकर डाल दिया क्योंकि तेली ने कहा था कि उसका डोलची में तेल है।

सुबह जब तेली उठा तो उसे नाश्ता करवा कर बनिया गाँव से दूर तक छोडने गया तेली बार-बार कह रहा था कि धन्यवाद आप वापिस जायें। लेकिन बनिया उसे दूर तक छोडने गया। जब  बनिया वापिस गाँव की तरफ जाने लगा तो कुछ दूर जाकर तेली ने उत्सुकता पूर्वक डोलची को खोला तो उसमें सोना न पाकर व तेल देखकर उसके होश गुम हो गये।उसे गहरा सदमा लगा। वह इसी सदमें में सोच ही रहा था कि उसके पास एक आदमी आया। उसने पूछा कि आप इतने घबराये से क्यों लग रहे हैं। तेली ने सारी घटना बताई तो उस महर्षि ने बताया कि भाई इस घटना पर इतना दुखी मत हो क्योंकि वो सोने की मोहरें तेरे भाग्य की नहीं थी। वह तो बनिये के भाग्य की थी जो तेरे माध्यम से वहाँ पहुँचाई गई हैं। वह तेरी नहीं थी तेरे भाग्य में रोज तेल बेचना ही है यही तेरा काम है। जो कल तेरा तेल नहीं बिक सका था उसके एवज़ में तुझे कल का खाना मिल चुका है और आज का तेल तेरे पास है। यही भगवान की मरजी थी जो भगवान चाहते हैं वही होता है उसके बिन चाहे कुछ नहीं होता। प्रकृति ने सबके हिस्से के काम बाँट रखे हैं जो आपका काम है वह आपके पास है इसका मतलब आपका कुछ खोया नहीं गया है। 

                                                                    sube singh sujan

                                                                  9416334841

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