my poetry मेरी गजलें और कवितायें
सच खोजना नहीं अब आसान रह गया
अब खबरों में उलझ कर इन्सान रह गया
हर रोज अपना काम किया और सो गये,
बूढा पिता जमाने से अनजान रह गया
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