मंगलवार, 27 मार्च 2012

गजल-सच खोजना

सच खोजना नहीं अब आसान रह गया

अब खबरों में उलझ कर इन्सान रह गया

हर रोज अपना काम किया और सो गये,

बूढा पिता जमाने से अनजान रह गया

 

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