आज रास्ते की आँख में दर्द था
दर्द भी बेतहाशा,
मैं उसे ढूढं रहा था
कोशिशों के बाद जब वह मिला
तो मैं सिर्फ उसे सहला कर वापिस आ गया।
अपनी बात नहीं कह सका
जो बात रास्ते को कहनी थी
और जब मैं वापिस घर को चला
तो रास्ता भी मेरा मुंह ताकता रहा।
सुजान
दर्द भी बेतहाशा,
मैं उसे ढूढं रहा था
कोशिशों के बाद जब वह मिला
तो मैं सिर्फ उसे सहला कर वापिस आ गया।
अपनी बात नहीं कह सका
जो बात रास्ते को कहनी थी
और जब मैं वापिस घर को चला
तो रास्ता भी मेरा मुंह ताकता रहा।
सुजान
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