दादी की कहानी मुझे सपनों में मिलती है
कुछ अपनी निशानी मुझे सपनों में मिलती है
माँ-बाप को मैं भूल गया जब बडा हुआ,
अब अपनी जवानी मुझे सपनों में मिलती है
तूफान उठाती है पसीना ले आती है,
इक याद पुरानी मुझे सपनों में मिलती है
सूबे सिहं सुजान
कुछ अपनी निशानी मुझे सपनों में मिलती है
माँ-बाप को मैं भूल गया जब बडा हुआ,
अब अपनी जवानी मुझे सपनों में मिलती है
तूफान उठाती है पसीना ले आती है,
इक याद पुरानी मुझे सपनों में मिलती है
सूबे सिहं सुजान
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