मंगलवार, 5 नवंबर 2024

नमामि गंगे नमामि गंगे। गंगा नदी पर गीत।

 नमामि गंगे नमामि गंगे, नमामि गंगे नमामि गंगे।

तुम्हारी कृपा से जी रहे हैं ,

हर एक तन में तुम्हारा जल है।

तुम्हीं तो जीवन बना रही हो,

तुम्हीं से कल था, तुम्हीं से कल है।


कहीं पे मछली कहीं मगरमच्छ ,

कहीं पे मेंढक उछल रहे हैं।

हजारों लाखों करोड़ों जीवन,

तुम्हारी गोदी में पल रहे हैं।


जटा से शिव की हुई प्रवाहित 

लहर लहर सी लहर गई हैं 

असंख्य नाले असंख्य नहरें,

इधर गई हैं उधर गई हैं।



सूबे सिंह सुजान 


राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय हथीरा, कुरूक्षेत्र, हरियाणा 


E mail - subesujan21@gmail.com 


Mo



bile number 9416334841

सोमवार, 14 अक्तूबर 2024

ग़ज़ल - मंज़िले पा ली गई तो रास्ता बाकी रहे। सूबे सिंह सुजान


 मंज़िलें पा ली गई, तो रास्ता बाकी रहे 

आप बेशक जाइये लेकिन पता बाकी रहे।


उम्र भर जिसके बहाने आप हमको याद आएं,

ज़िन्दगी में प्यार की ऐसी ख़ता बाकी रहे।


दोस्त हमने भी बनाए सैंकड़ों थे, कुछ मगर,

मेरे दिल से हो न पाये, लापता, बाकी रहे।


आप चाहें मुझसे करना दुश्मनी तो कीजिए,

सिर्फ़ दिल में प्रेम का इक देवता बाकी रहे।


दोस्ती ख़ामोशियों से कीजिए बेशक "सुजान"

पेड़-पौधों, रास्तों से वास्ता बाकी रहे।


सूबे सिंह सुजान 


शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2024

माता के नवरात्रों में शक्ति मंत्र मां सरस्वती, भद्रकाली,भवानी, वैष्णो ने लिखवाया।

 नवरात्र में मां देवी शक्ति की अराधना करते हुए यह काव्य पाठ माता ने लिखवाया है।

आप सब पढें,पूजा करें।



कलम तुम्हीं हो,कला तुम्हीं हो।

हे प्रेयसी, प्रेरणा तुम्हीं हो।


प्रसन्नता,नव्यता तुम्हीं हो,

सदा तुम्हीं हो,सुधा तुम्हीं हो।


गगन तुम्हीं हो,धरा तुम्हीं हो,

हरी भरी वाटिका तुम्हीं हो।


ह्रदय हरण हृदयिका तुम्हीं हो,

कमल नयन नयनिका तुम्हीं हो।


उठी हैं मन में,मृदुल हिलोरें,

प्रकट हुई भावना तुम्हीं हो।


तुम्हीं हो दुर्गा,शिवा तुम्हीं हो।

कपालिनी क्षमा तुम्हीं हो।


त्रिदेव की शक्ति आपमें है,

अनूप हो दश भुजा तुम्हीं हो।


रचित,रचा,आदिशक्ति माता,

प्रभात चारों दिशा तुम्हीं हो।


व्यथा तुम्हीं वेदना तुम्हीं हो,

मनुष्य की चेतना तुम्हीं हो।


हो अर्थ तुम,काम क्रोध तुमसे,

विज्ञान तुमसे,जया तुम्हीं हो।


हे धात्री हे कात्यायनी माँ,

है रूप तुमसे,छठा तुम्हीं हो।


हे बुद्धि दायक,अज्ञान नाशक,

सरस्वती हंसिका तुम्हीं हो।


सूबे सिंह सुजान 

कुरूक्षेत्र, हरियाणा 

9416334841



गुरुवार, 3 अक्तूबर 2024

हिन्दी भाषा में ई व यी,ए व ये तथा एँ व यें में कौन सा सही है इसके बारे सटीक जानकारी

 #आइए #हिन्दी #सुधारें

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हिन्दी लिखने वाले अक़्सर 'ई' और 'यी' में, 'ए' और 'ये' में और 'एँ' और 'यें' में जाने-अनजाने गड़बड़ करते हैं...।

 कहाँ क्या इस्तेमाल होगा, इसका ठीक-ठीक ज्ञान होना चाहिए...।

जिन शब्दों के अन्त में 'ई' आता है वे संज्ञाएँ होती हैं क्रियाएँ नहीं... 

जैसे: मिठाई, मलाई, सिंचाई, ढिठाई, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई, निराई, गुणाई, लुगाई, लगाई-बुझाई...।

इसलिए 'तुमने मुझे पिक्चर दिखाई' में 'दिखाई' ग़लत है... 

इसकी जगह 'दिखायी' का प्रयोग किया जाना चाहिए...। 

इसी तरह कई लोग 'नयी' को 'नई' लिखते हैं...। 

'नई' ग़लत है , सही शब्द 'नयी' है... 

मूल शब्द 'नया' है , उससे 'नयी' बनेगा...।

क्या तुमने क्वेश्चन-पेपर से आंसरशीट मिलायी...?

( 'मिलाई' ग़लत है...।)

आज उसने मेरी मम्मी से मिलने की इच्छा जतायी...।

( 'जताई' ग़लत है...।)

 उसने बर्थडे-गिफ़्ट के रूप में नयी साड़ी पायी...।

('पाई' ग़लत है...।)

अब आइए 'ए' और 'ये' के प्रयोग पर...। 

बच्चों ने प्रतियोगिता के दौरान सुन्दर चित्र बनाये...।

( 'बनाए' नहीं...। ) 

लोगों ने नेताओं के सामने अपने-अपने दुखड़े गाये...।

( 'गाए' नहीं...। )

 दीवाली के दिन लखनऊ में लोगों ने अपने-अपने घर सजाये...।

( 'सजाए' नहीं...। )

तो फिर प्रश्न उठता है कि 'ए' का प्रयोग कहाँ होगा..?

`ए' वहाँ आएगा जहाँ अनुरोध या रिक्वेस्ट की बात होगी...।

अब आप काम देखिए, मैं चलता हूँ...।

( 'देखिये' नहीं...। )

आप लोग अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी के विषय में सोचिए...।

( 'सोचिये' नहीं...। ) नवेद! ऐसा विचार मन में न लाइए...।

( 'लाइये' ग़लत है...। )

अब आख़िर (अन्त) में 'यें' और 'एँ' की बात...

यहाँ भी अनुरोध का नियम ही लागू होगा...

 रिक्वेस्ट की जाएगी तो 'एँ' लगेगा , 'यें' नहीं...।

 आप लोग कृपया यहाँ आएँ...।

( 'आयें' नहीं...। )

जी बताएँ , मैं आपके लिए क्या करूँ ?

( 'बतायें' नहीं...। )

मम्मी , आप डैडी को समझाएँ..।

( 'समझायें' नहीं..। )


अन्त में सही-ग़लत का एक लिटमस टेस्ट...

एकदम आसान सा...


जहाँ आपने 'एँ' या 'ए' लगाया है , वहाँ 'या' लगाकर देखें...।

क्या कोई शब्द बनता है ?

यदि नहीं , तो आप ग़लत लिख रहे हैं...।

आजकल लोग 'शुभकामनायें' लिखते हैं...

इसे 'शुभकामनाया' कर दीजिए...।

'शुभकामनाया' तो कुछ होता नहीं ,

इसलिए 'शुभकामनायें' भी नहीं होगा...। 

सही शब्द शुभकामनाएं होगा ।

'दुआयें' भी इसलिए ग़लत हैं और 'सदायें' भी...

 'देखिये' , 'बोलिये' , 'सोचिये' इसीलिए ग़लत हैं क्योंकि 'देखिया' , 'बोलिया' , 'सोचिया' कुछ नहीं होते...।


राज नवादवी 

रविवार, 29 सितंबर 2024

कविता - लड़कों की कविताएं

 कविता - लड़कों की कविताएं 


लड़कों का दर्द है कि लड़के लड़कियों की कविता ,उनका दर्द देखकर पसंद न करके उनकी फोटो देखकर पसंद करते हैं। और लड़के, लड़कों की कविता पसंद नहीं करते।

जबकि लड़कों की कविता में ज्यादा दर्द होता है।

लड़कियां लड़कों की कविता पसंद इसलिए नहीं कर पाती क्योंकि वो समाज से डरती हैं और इस तरह लड़कों की लिखी कविता चुपचाप पढ़ी जाती हैं।

लेकिन उन पर सार्वजनिक टिप्पणियां नहीं आती।


सूबे सिंह "सुजान" 

 कुरूक्षेत्र,


 हरियाणा

गुरुवार, 12 सितंबर 2024

चुनावों से पहले डराने लगे हैं।


 हमें अपनी ताक़त दिखाने लगे हैं 

चुनावों से पहले डराने लगे हैं।


बुरों को सही, जो बताने लगे हैं 

ये माहौल कैसा बनाने लगे हैं?


चुनावों के पीछे वो क्या क्या करेंगे,

अभी से जो लड़ने लड़ाने लगे हैं।


वो जनता को कल कैसा आराम देंगे 

सड़क बंद करके दिखाने लगे हैं।


अरे आम लोगों ज़रा ध्यान रखना,

इधर कौन बदमाश आने लगे हैं।


कलम के सिपाही भी अब भेष बदले,

हमें इस समय आज़माने लगे हैं।


सूबे सिंह सुजान

कवि गोष्ठी 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

मेरी आलोचना जरूरी है।

मेरी आलोचना जरूरी है 

कुछ नया सीखना जरूरी है।


शब्द दर शब्द सीखना होगा,

शब्द की साधना जरूरी है।


अब रचो मानवीय तकनीकें,

क्योंकि संवेदना जरूरी है।


मूंग,अरहर,उड़द तो हैं लेकिन,

दाल में कुछ चना जरूरी है।


नल खुला छोड़ दे अगर टीचर,

बच्चों को देखना जरूरी है।


मेरे अंदर कमी हजारों हैं,

इस तरह सोचना ज़रूरी है।


मैं ग़ज़ल में गिलोय रस भर दूं,

अब नयी योजना जरूरी है।


सूबे सिंह सुजान