दफ़्तरों में दबे हुए लोगो।
कब उठोगे,मरे हुए लोगो।
एक दीवार तो खड़ी है अभी,
कुछ करो,कुछ बचे हुए लोगो।
चापलूसी को काटो, बढ़ती है,
बोलिए,देखते हुए लोगो।
तुम कहीं जा के सो न पाओगे,
भागते भागते हुए लोगो।
कैसे खामोश हो गए सारे?
बोलते बोलते हुए लोगो ।
अब तुम्हें वक्त ख़त्म कर देगा,
बांटते बांटते हुए लोगो।
सूबे सिं
ह सुजान
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