सोमवार, 4 जुलाई 2022

कुप्रथा (लघुकथा)

 कॉलेज की दो छात्राएं आपस में घनिष्ठ सहेली थी कोमल और सुल्ताना। दोनों अपनी सभी निजी बातें शेयर करती थी सुल्ताना,कोमल से अक्सर कहती कि तुम्हारे बहुत मज़े हैं तुम पूरी स्वतंत्रता से रह सकती हो।  हर तरह के कपड़े पहन सकती हो, कहीं जा सकती हो, लेकिन हमें तो बुर्के में रहना पड़ता है और हमें सामाजिक रूप से आज़ादी नहीं दी जाती है। यह वामपंथी विचारधारा मीडिया में हिन्दू धर्म में बहुत कमियां बताती है लेकिन हमारे समाज की कुरीतियों को समर्थन करती है पता नहीं हमारे समाज की कुरीतियों को उजागर क्यों नहीं करती वरना कुछ तो सुधार हमारे समाज में भी होता ।

कोमल कहने लगी लेकिन तुम अपने परिवार में कहती क्यों नहीं  कि मुझे मेरी मर्ज़ी का पहनावा पहने दो,इस पर सुल्ताना बोली चुप रहो बहन इतनी बात कहने पर हमारे साथ, हमारे घर के पुरुष न जाने कैसे कैसे उत्पीड़न करते हैं और तुम्हें यह कहते सुन लिया कि मुझे यह सलाह दे रही है तो तुम्हें भी परेशान करेंगे। इसलिए चुपचाप ज़ुल्म सहना ही हमारा भाग्य है।


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