मैं जब सोने को लेटता हूँ नींद का इंतजार करता हूँ और नींद आने में देर लगाती है तो मुझे उस वक्त प्रेमिकाओं की यादें आने लगती हैं पहले तो पहली प्रेमिका यादों में आती है वो ऐसी प्रेमिका रही है जैसे कभी उससे कुछ भी लेने की इच्छा आज तक नहीं पैदा हुई ,बस सारी कोशिश उसे खुद को समझाने में लगा दी लेकिन जिन्दगी के महत्वपूर्ण दिनों में भी मैं उसे समझा ही नहीं पाया क्योंकि उसने मुझे समझने की तरफ कदम ही नहीं बढ़ाया और ये पागल दिल मेरा आज भी सबसे पहले,नींद से भी पहले उसी को याद करता है और वो याद आती है तो दुनिया की खबर आने लगती है और नींद गायब हो जाती है ।
उसको केवल देखा ही है और यही बहुत है बहुत यूँ कि अब तक वही तो है सबकुछ, जो यादों में भी,कविताओं में भी, जीवन दर्शन में भी है ।
सोचता हूँ कि लोग कौन सी प्रेमिका को पसंद करते होंगे यथार्थ जो अधिकतर देखने को मिलता है वह तो ऐसा नहीं लगता जैसा मेरा है लेकिन मैं सबको समझने की कोशिश क्यों करता हूँ ?मालूम नहीं ।
हो सकता है मुझे भी बहुतों ने समझा हो या समझने की कोशिश की हो ।
खैर आगे चलिये ।
फिर दूसरी प्रेमिका याद आती है जो मुझे चाहती थी लेकिन मैं उसे यही नहीं समझा सका कि मैं किसी को प्यार करता हूँ और वो मुझे प्यार नहीं करती लेकिन उसे मेरी बातों से कोई मतलब नहीं था वो मुझे प्यार देना चाहती थी और ये समझाना चाहती थी कि तुम उसके पीछे मत दौड़ो जो तुम्हारा नहीं है और मैं उसकी यही बात नहीं समझ सका और उसे नाराज कर दिया ।
बरसों बाद मुझे सोने से पहले सारी बातें याद आ रही हैं तो पता चलता है कि दूसरी प्रेमिका यथार्थ थी और उसे नाराज करना मेरी मूर्खता थी खैर कहीं न कहीं मूर्ख एक समय में सब होते हैं जो यह सोचते हैं कि उन्होंने प्रेमिकाओं को खूब भोगा है वे भी बाद में पश्चाताप करते रहे होंगे और अपनी मूर्खता पर गुस्सा होते रहे होंगे ।
लेकिन ये प्रेमिकाएँ ही दुनिया बनाती हैं ऐसा तो नहीं है हाँ दुनिया को मनोरंजक तो जरूर बनाती हैं मुझे पेड़ों से भी प्यार हो जाता है तो उनको भी मैं दुनिया को खूबसूरत बनाने के लिए प्रेमिका से ज्यादा धन्यवाद करता हूँ बेल जब पेड़ों पर चढ़ती है तो बहुत खूबसूरत गहना बनकर पेड़ को सजा देती है मैं ऐसे दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध होता रहता हूँ लेकिन जब यह देखता हूँ कि लोग इस दृश्य को और इस दृष्टिकोण से नहीं देख रहे हैं तो दुनिया पर हँसते हुए आगे चलता हूँ ।
उसको केवल देखा ही है और यही बहुत है बहुत यूँ कि अब तक वही तो है सबकुछ, जो यादों में भी,कविताओं में भी, जीवन दर्शन में भी है ।
सोचता हूँ कि लोग कौन सी प्रेमिका को पसंद करते होंगे यथार्थ जो अधिकतर देखने को मिलता है वह तो ऐसा नहीं लगता जैसा मेरा है लेकिन मैं सबको समझने की कोशिश क्यों करता हूँ ?मालूम नहीं ।
हो सकता है मुझे भी बहुतों ने समझा हो या समझने की कोशिश की हो ।
खैर आगे चलिये ।
फिर दूसरी प्रेमिका याद आती है जो मुझे चाहती थी लेकिन मैं उसे यही नहीं समझा सका कि मैं किसी को प्यार करता हूँ और वो मुझे प्यार नहीं करती लेकिन उसे मेरी बातों से कोई मतलब नहीं था वो मुझे प्यार देना चाहती थी और ये समझाना चाहती थी कि तुम उसके पीछे मत दौड़ो जो तुम्हारा नहीं है और मैं उसकी यही बात नहीं समझ सका और उसे नाराज कर दिया ।
बरसों बाद मुझे सोने से पहले सारी बातें याद आ रही हैं तो पता चलता है कि दूसरी प्रेमिका यथार्थ थी और उसे नाराज करना मेरी मूर्खता थी खैर कहीं न कहीं मूर्ख एक समय में सब होते हैं जो यह सोचते हैं कि उन्होंने प्रेमिकाओं को खूब भोगा है वे भी बाद में पश्चाताप करते रहे होंगे और अपनी मूर्खता पर गुस्सा होते रहे होंगे ।
लेकिन ये प्रेमिकाएँ ही दुनिया बनाती हैं ऐसा तो नहीं है हाँ दुनिया को मनोरंजक तो जरूर बनाती हैं मुझे पेड़ों से भी प्यार हो जाता है तो उनको भी मैं दुनिया को खूबसूरत बनाने के लिए प्रेमिका से ज्यादा धन्यवाद करता हूँ बेल जब पेड़ों पर चढ़ती है तो बहुत खूबसूरत गहना बनकर पेड़ को सजा देती है मैं ऐसे दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध होता रहता हूँ लेकिन जब यह देखता हूँ कि लोग इस दृश्य को और इस दृष्टिकोण से नहीं देख रहे हैं तो दुनिया पर हँसते हुए आगे चलता हूँ ।
वाह !आदरणीय कविवर !!! खुद से रोचक संवाद और सुंदर आत्ममंथन !!!!! प्रेमिकाओं की कोई गाथा इतिहास में अच्छे सन्दर्भ में कभी दर्ज नहीं की गयी |लेकिन प्रेम इंसान को इंसान बनाने में अहम भूमिका अदा करता है जिसका लाभ उसे देने वाले को कभी नहीं मिलता उसके रस में सिर्फ परिवार सराबोर होता है | सादर --
जवाब देंहटाएंनमस्कार,
जवाब देंहटाएंआलेख को पढ़कर,समझकर टिप्पणी करना बताता है कि आप शब्दों के साथ साथ रही हैं और विचार को बल प्रदान कर रही हैं ।
बहुत बहुत शुक्रिया
सुस्वागतम आदरनीय सुजान जी |
हटाएंजी नमन
हटाएंसहृदयता बनायें रखें व प्रेम को बल प्रदान करें
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंआप सब मित्रों से अनुरोध है कि आप भी पढ़ें और अपनी टिप्पणी जोड़ें।
क्या कहने सर
जवाब देंहटाएंअदभुत
Wah bahut badhia Sujan bhai. Prem aur premika ka itna sahi chitran.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय
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