अब खतरनाक हो गया बादल
या कहें बेलगाम है पागल
कोई तो इन्द्र को ये समझाये,
कर रहा है किसान को घायल
आसमाँ ने कहा शराबी है,
मेघ नाचे है बाँध कर पायल
ओ रे मूर्ख खडी फ़सल को देख,
बालियों में है धूधिया चावल
गडगडाहट करे, डराये है,
बिजलियाँ हो रही तेरी कायल
मौलिक व अप्रकाशित
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