रविवार, 29 दिसंबर 2013

क़िता--सब निभाना पडा ग़मों के साथ…

साल आया भी था ग़मों के साथ।

साल जाने लगा   ग़मों के साथ।।

मां सतायी, पिता को छीन लिया,

सब निभाना पडा ग़मों के साथ।।

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