हर व्यक्ति का अपना एक अलग अलग स्वभाव, व्यक्तित्व होता है वह उसी प्रकार,कि जिस प्रकार उसकी शक्ल अलग-अलग, बुद्धि अलग अलग होती है।
लेकिन यह तो सामान्य बात है परन्तु हैरानी तब ज़्यादा होती है जब व्यक्ति के गिरने या उठने का स्तर भी अलग-अलग देखने को मिलता है यह उठ कर या बैठना नहीं है यह चारित्रिक, वैचारिक स्तर का उठना व बैठना है इससे भी गंभीर बात तब होती है जब वह कोई उच्च स्तरीय अधिकारी के पद पर कार्यरत होकर एक सामान्य नागरिक से भी नीचले स्तर पर जानते हुए भी गिर पड़ता है।
सामाज के लिए गंभीर प्रश्न तब बन जाता है जब उच्च स्तरीय अधिकारी और उच्च चरित्र प्रदर्शित करने वाले व्यक्ति यह अशोभनीय कार्य करते हैं और वह अपने स्तर पर अपने करीबी लोगों के लिए अनेकानेक नाजायज़ कार्य करते हैं और जो व्यक्ति उनको सही राह बताए और वह उसको न अपनाकर उसी के विरुद्ध तुच्छ मानसिकता के साथ बातचीत करते हैं यह समाज में अति संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है और बहुत दुःखद यह होता है कि सम्मुख बैठे समाज के गणमान्य कहलाने वाले खामोश रहते हैं जबकि कुछ दिनों बाद उनका भी यह नंबर आएगा यह वह भी नहीं सोचते जबकि जानते हैं कि ऐसा होता आया है लेकिन स्वार्थ वश वह सोचते हैं शायद मेरा नहीं दूसरे का नंबर आएगा।