आँख में अपनी लाज रखता हूँ
पास अपने समाज रखता हूँ
कल कहाँ पर बसेरा है मेरा,
खूब ताजा मिजाज रखता हूँ
हर घडी मौत लेकर घुमो यार,
जेब में अपनी आज रखता हँ
सूबे सिहं सुजान
पास अपने समाज रखता हूँ
कल कहाँ पर बसेरा है मेरा,
खूब ताजा मिजाज रखता हूँ
हर घडी मौत लेकर घुमो यार,
जेब में अपनी आज रखता हँ
सूबे सिहं सुजान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें