गुरुवार, 25 अगस्त 2011

गीत

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आज मन मेघ सा हुआ जाये

दिल में आया कि कुछ कहा जाये.....

जब हवायें कहीं उछलती हैं

पेड की टहनियाँ टहलती हैं

बूंद का मन तडफ कर कहता है

आज मुझसे न कुछ सहा जाये....

दिल में आया कि कुछ कहा जाये....

जब कोई मन की बात सुनता है

दिल का अहसास फूल बनता है

कोई बादल-बदल नहीं सकता

मिल हवा से उडा-उडा जाये....

दिल में आया कि कुछ कहा जाये..

बूंद बरसे बहार बहती है

हर नदी इन्तजार सहती है

फूल, फल देने को अब आतुर हैं

हर किसी को बहार भा जाये.....

दिल में आया कि कुछ कहा जाये......

सूबे सिहं सुजान

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