sujankavi
my poetry मेरी गजलें और कवितायें
शुक्रवार, 25 नवंबर 2011
तेरी निगाह अगर मेहरबान हो जाये
जमाना मेरे लिये बागबान हो जाये..
बताओ कैसा लगेगा तुम्हें जमाना फिर,
जमीं के जैसा अगर आसमान हो जाये
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