शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

तेरी निगाह अगर मेहरबान हो जाये
जमाना मेरे लिये बागबान हो जाये..
बताओ कैसा लगेगा तुम्हें जमाना फिर,
जमीं के जैसा अगर आसमान हो जाये

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