मंच पर,चुटकुले, सुना देना,
चुटकुलों को, ग़ज़ल बता देना।
मेरी यादों को तुम,जला देना,
और फिर ख़ाक को उड़ा देना।
कितना मुश्किल है,याद करना भी,
दर्द की आग को हवा देना।
कीजिए कुछ इलाज़, मेरे हकीम,
मैंने, ग़म खा लिया,दवा देना।
तेरा ग़म, एक गीला कचरा है,
कुछ, सुखाकर,इसे जला देना।
चापलूसी में, कितना मुश्किल है,
ग़ल्तियों पर कोई सज़ा देना।
इस तरक्की में, लोग भूल गए,
दूसरों को भी रास्ता देना।
सूबे सिंह सुजान
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