शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

जो अज्ञानी है वह सवाल करता है

 जिस बात को, गुत्थी को जब आदमी जान लेता है या समझ लेता है तो फिर उसके बारे किसी से सवाल नहीं करता।

जिस प्रकार बच्चा जब तक जिस चीज़ को नहीं जान लेता तब तक वह बार बार पूछता रहता है और जान लेने के बाद दुबारा पूछता नहीं।

हर ज्ञान की बात इसी प्रकार हैं।


इसी प्रकार भगवान है जब तक मनुष्य उनको जान नहीं लेते तब तक लगातार प्रश्न करेंगे और जो जान लेते हैं वह प्रश्न करना बंद कर देते हैं।

इस प्रक्रिया में हमारे ज्ञान, बुद्धि का भी पता चलता है कि हम कितना समझ सकते हैं और कितना नहीं क्योंकि प्रकृति सबके लिए समान रूप से व्यवहार करती है

सूरज कभी अपनी धूप अलग अलग नहीं देता, फूल खुश्बू सबको बराबर देते हैं यह लेने वाले पर निर्भर है वह किस प्रकार ग्रहण करता है किसी को खुश्बू आते ही आत्मविभोरता प्राप्त होती है तो कोई उसमें मीन मेख़ निकालता रह जाता है वह खुश्बू को उसकी सार्थकता में ग्रहण नहीं कर पाते और आलोचना में समय नष्ट करने लगते हैं।

अर्थात अज्ञानी ही हमेशा सवाल करते हैं और ज्ञानी उनके जवाब देते हैं।


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