मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

गहरे लोग

 ह्रदय की गहराई कौन नाप सकता है? यह तो कोई कोई समझ सकता है उसके जैसा या उससे भी ज्यादा गहरा कोई समझ सकता है।

हर जीव जंतु, पेड़ पौधे को आख़िर पकना होता है और उसके बाद बीज बनना होता है।

लेकिन ऐसे भी हैं कि बहुत कुछ पेड़ पौधों,जीव जंतुओं को फल नहीं आ पाते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जिनको फल आ गए हैं तो फिर बीज नहीं बनते।

यह सबका अलग अलग भाग्य है बिल्कुल उसी प्रकार जिस तरह हम सबकी शक्लें अलग अलग हैं व गुण भी अलग-अलग हैं। इसी तरह मनुष्यों में शारीरिक तौर पर कुछ लोग पतले, कुछ मोटे, कुछ बौने, लम्बे,ढील ढौल से अलग अलग दिखाई देते हैं तो कुछ लोग बुद्धि स्तर पर भी अलग अलग विचारों के होते हैं तो कुछ लोग मानसिक स्तर पर भी अलग-अलग स्तरों व भावनाओं से अद्वितीय होते हैं।


गहराई के भी अपने अपने प्रकार होते हैं कटोरी या गिलास या घड़ा इनकी अपनी अपनी व अलग अलग काम आने वाली गहराई होती है जो कि अपने स्तर पर पूर्ण रूप से सफल है,काम आने वाली है अर्थात सार्थक है।

वहीं आप जोहड़, तालाब, सरोवर, दरिया,नहर, नदी और समुद्र की गहराईयों को भी अपने अपने स्तर पर अद्भुत व सफल काम आने वाली पाओगे।

इन्हीं सब गहराइयों का आप दूसरे सिरे से देखें तो यह गहराइयां अपने आप में पूर्ण हैं परन्तु सब व्यक्तियों के लिए एक जैसी काम नहीं आती,न हर पशु या पक्षी के लिए समानता से एक जैसी काम आ सकती हैं। परंतु किसी भी गहराई में लेश मात्र भी कमी नहीं है।

क्या आप ऐसा ही व्यक्तियों के बारे में सोच सकते हैं? बिल्कुल ऐसे ही प्रकार व चरित्र व्यक्तियों में देखने को मिलेंगे।इस सब के बावजूद प्रकृति ने कहीं भी कोई अपराध नहीं किया है इस भाव के समीप आने के लिए मनुष्य को बहुत गहरा होना होता है जो जितना गहरा हो जाता है वह उतना इस भाव को समझ पाता है। प्रकृति ने किसी भी जीव जंतु पेड़ पौधे में कहीं भी पक्ष या विपक्ष नहीं किया है।

अपितु यह सब जीवन को संचालित करने के स्तर निर्माण किए गए हैं और इन्ही स्तरों से जीवन सार्थक संचालित हो सकता है और हुआ है वरना इनके बदलाव से यह जीवन संभव नहीं है। इसलिए एक भजन में कहा गया है कि ईश्वर जो कुछ भी करता है अच्छा ही करता है।यह प्रकृति का नियम है, निस्वार्थ भाव का निर्णय है।

जीवन हमारे द्वारा संचालित हो रहा है लेकिन हमसे ही संचालित नहीं होता है जीवन स्वयं संचालित है जीवन के संचालन में अनेक शक्तियों का प्रयोग हो रहा है जो हमसे संबंधित दिखाई न देकर भी हमें संचालित कर रही हैं सूर्य, चंद्र,पवन,आकाश, पृथ्वी आदि तो समक्ष हैं परंतु असीमित ज्ञात,अज्ञात असंख्य शक्तियां जीवन को गतिमान बनाए हुए हैं। इन्हीं असीमित ज्ञात अज्ञात शक्तियों को जानने में मनुष्य लगा है और इनको जानने से हमें ज्ञान होता है। यही शक्तियां जानना, पहचानना ही ज्ञान है।

इसी प्रकार प्रेम है। प्रेम के अंदर इसी प्रकार संपूर्ण सृष्टि का श्रृंगार, वैभव,कष्ट,सुख, अपरिचित,परिचित, अपरिमित, असीमित आनंद का अनुभव होता है। यही प्रेम, मनुष्य की गहराई की मापन प्रणाली है।

प्रेम के माध्यम से जीवन को असीमित किया जा सकता है।


सूबे सिंह सुजान

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