मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

गजल-तरही मिसरे पर


खामोश ना रहें कुछ तो बात हम करें
चल एक  दूसरे  से  बात  हम  करें
कल जो हमारे बीच था अब वो नहीं रहा,
आओ कि उसकी याद में कुछ बात हम करें
वो जुल्म जुल्म हैं जो किये जानबूझकर,
अपने किये पे आँसू की बरसात हम करें
टकराव भी जरूरी हैं बदलाव के लिये,
लेकिन जरा सा प्यार से उत्पात हम करें
 sujan

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें