नवरात्र में मां देवी शक्ति की अराधना करते हुए यह काव्य पाठ माता ने लिखवाया है।
आप सब पढें,पूजा करें।
कलम तुम्हीं हो,कला तुम्हीं हो।
हे प्रेयसी, प्रेरणा तुम्हीं हो।
प्रसन्नता,नव्यता तुम्हीं हो,
सदा तुम्हीं हो,सुधा तुम्हीं हो।
गगन तुम्हीं हो,धरा तुम्हीं हो,
हरी भरी वाटिका तुम्हीं हो।
ह्रदय हरण हृदयिका तुम्हीं हो,
कमल नयन नयनिका तुम्हीं हो।
उठी हैं मन में,मृदुल हिलोरें,
प्रकट हुई भावना तुम्हीं हो।
तुम्हीं हो दुर्गा,शिवा तुम्हीं हो।
कपालिनी क्षमा तुम्हीं हो।
त्रिदेव की शक्ति आपमें है,
अनूप हो दश भुजा तुम्हीं हो।
रचित,रचा,आदिशक्ति माता,
प्रभात चारों दिशा तुम्हीं हो।
व्यथा तुम्हीं वेदना तुम्हीं हो,
मनुष्य की चेतना तुम्हीं हो।
हो अर्थ तुम,काम क्रोध तुमसे,
विज्ञान तुमसे,जया तुम्हीं हो।
हे धात्री हे कात्यायनी माँ,
है रूप तुमसे,छठा तुम्हीं हो।
हे बुद्धि दायक,अज्ञान नाशक,
सरस्वती हंसिका तुम्हीं हो।
सूबे सिंह सुजान
कुरूक्षेत्र, हरियाणा
9416334841
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