सोमवार, 31 मई 2021

ग़ज़ल मेरे दुःख का पहाड़ अच्छा है।

 मेरे दुःख का पहाड़ अच्छा है

सैर कर करके सबने देखा है।


खूबसूरत सभी को लगता है,

दर्द का देवदार लम्बा है।


रोशनी देने के लिए सबको,

दर्दे सूरज हर रोज़ जलता है।


इसलिए उससे मिलने जाता हूँ,

वो मुझे अपना दोस्त कहता है।


दिल के टुकड़े हज़ार करके भी,

मेरा दिल सबके काम आता है।


लोग मायूस बैठे रहते हैं,

फूल हर रोज़ फिर भी खिलता है।


सारी माँओं की माँ ये मिट्टी है,

सारा आकाश ऐसा कहता है।


सूबे सिंह सुजान

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