बहुत दिनों की ख़ामोशी के बाद जब कुछ भी कह नहीं पाया तो महसूस हुआ कि कहना तो होता ही नहीं सब कहा गया है सब लिखा है सब दिख रहा है ।
ख़ामोशी में रहने के बाद एक इत्मिनान पैदा होता है एक संतोष जन्म लेता है और यदि यह महसूस न हो तो समझें आप ख़ामोश नहीं रहे ।
यदि ख़ामोशी के बाद तूफ़ान आने की बात करें यह पागलपन है झुंझलाहट है एक भीतरी भीड़ है जो नकारात्मक विचारों से ठूंस रखी है जो निकलने को बेताब है यह किसी दूसरे ने नहीं भरी थी यह आपने ही भरी थी आपके भीतर कोई ओर कुछ नहीं भर सकता जब तक आपकी इजाजत न हो।।
आकाश में हर तरह का विचार, विरोध, प्रेम सब मौजूद है हमें क्या चाहिए यह हमें निर्धारित करना होता है।
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