मंगलवार, 5 मई 2020

केवल पाँच तत्व ही क्रिया करते हैं मनुष्य कुछ नहीं करते मनुष्य क्रिया में प्रयुक्त सामग्री मात्र है

पुरानी बातों को ढूँढ कर फिर से देखो,जाँच करो,परख करो, उठा कर,इधर -उधर से, प्यार से देखना । यदि ऐसा कर पाये तो आप पायेंगे ये पुरानी बातें भी नयी जैसी ही हैं आपको थोड़ा बहुत अंतर दिखाई देगा जबकि अंतर कुछ भी नहीं होता है यह हमारा पूरी तत्लीनता के साथ,ध्यान के साथ वहाँ तक न पहुँचना होता है यदि पूरा पहुँचा जाये तो कोई भी अंतर न पाओगे । सूरज उसी क्रिया में, धरती उसी क्रिया में ,हवा,जल,आकाश सब उसी क्रिया में लगातार व्यस्त रहते हैं आप कहेंगे वे बदलते हैं? नहीं? वे नहीं बदलते ।वे अपने मन को लगाये रखने के लिए ही अपनी करवटें लेते रहते हैं , कभी इधर तो कभी उधर नजरें घुमा कर देखते हैं , आने जाने वालों को देखते रहते हैं बस यही करते हैं लेकिन बदलते नहीं हैं । क्या हम कपड़े बदलने से बदल जाते हैं ? नहीं न रहते तो वही हैं क्या हम नहाने से बदल जाते हैं नहीं बदलते हैं । हाँ हम कपड़े बदलने के बाद या नहाने के बाद तरोताजा या बहुत स्वस्थ होने का अनुभव करते हैं । यही अनुभव वे पाँचों तत्व करते हैं जिनसे जीवन निर्मित हुआ है जब तक हैं तो सर्वकालिक तो जीवन तत्व ही हैं उन्हीं का रूप जीवन में परिवर्तित होता है वही सत्य हैं । मनुष्य कभी बदलता नहीं है या कोई भी जीव,जैसे सदियों पहले चरित्र थे वैसे ही आज भी हैं,वही भावनायें, क्रोध, मुस्कुराहट, संवेदनशीलता आज भी हैं जो सदियों पहले थी, सबसे सटीक व सबसे पुरानी संस्कृति रामायण,महाभारत में रचित चरित्र या संवेदन भी ऐसे ही थे जैसे आज हैं जिससे यह सिद्ध होता है बदलता कुछ नहीं है केवल भौतिक परिवर्तन होते हैं केवल कपड़े बदलने व नहाने का काम ही होता है और वह भी केवल पाँच तत्वों द्वारा होता है यदि हम कपड़े बदल रहे हैं या नहा रहे हैं वह भी पाँच तत्व ही क्रिया कर रहे हैं । सूबे सिंह सुजान

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