सोमवार, 11 नवंबर 2019

ग़ज़ल - फूल को तोड़ना नहीं होता ।

ग़ज़ल
  मिलने का सिलसिला नहीं होता ,
तो ये दिल आपका नहीं होता । 
 आपसे दिल लगा नहीं होता 
 आपसे वास्ता नहीं होता । मेरी चिंता की कुछ वजह होगी बेवजह सोचना नहीं होता । धान तो बारिशों में ही होगा बारिशों में चना नहीं होता । तुम मुझे भी पसंद आ जाते मैं अगर दिलजला नहीं होता । फूल को सिर्फ़ देखना है "सुजान " फूल को तोड़ना नहीं होता । जब हमारी कहासुनी हो जाए कुछ दिनों बोलना नहीं होता । प्यार में जिंदगी लुटा दूँगा हर कोई सिरफिरा नहीं होता । सब मिलेंगे वंहीं,जहाँ से "सुजान" फिर कभी लौटना नहीं होता । :::सूबे सिंह सुजान :::

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