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कविता हर जगह,हर वक्त रहती है
जब हम नहीं कह रहे होते तब भी,
हमारा हंसना रोना से लेकर,
जब हम मर रहे होते हैं
तब तक कविता होती रहती है
फूल के खिलने से मुरझाने तक ही नहीं कविता,
फूल के फिर से खिलने,फिर से खिलने और इसी चक्र को कविता चलाती है
यही जीवन है, यही कविता है
फिर बताओ कविता कैसे मर सकती है
सुजान
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