sujankavi
my poetry मेरी गजलें और कवितायें
गुरुवार, 1 मार्च 2012
पेडों ने शुरू की क्रांति
जो पेड दीवार के पास खडे होते हैं उनकी जडें दीवार में अपनी जगह बना लेती हैं जैसे आदमी को कह रही हों कि अब छोडिये आप मकानों को हमें रहना है इन मकानों में। आदमी की ज्यादतियों से तंग आकर पेड अपनी रक्षा के लिये ये कदम उठा रहे हैं।
सुजान
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