कैक्टस के फूल की अपनी ही तरह की, अपनी ही मर्जी की ख़ूबसूरती है उन्होंने खिलने का मौसम भी ऐसा चुना है जिसमें मौसम परिवर्तन होता है और फ़सल पक कर कटती है लेकिन इस दुनिया में बैसाखी पर्व पर इस फूल से बेहतरीन ख़ूबसूरती भी देखी जा सकती है और इस मौसम अनुसार कपड़े पहनना और रंगों का चयन करना यह क्या कम खूबसूरत होगा। यह देखकर कईं बार हम आह भरकर रह जाते हैं और खूबसूरती को मुखरित नहीं करते लेकिन पहचान लेते हैं।
दूसरे टेसू, अर्थात पलाश ने भी यही मौसम चयन किया है वह ढाक के पेड़ पर खिलता है ढाक का पेड़ देखने में अन्य पेड़ के सामने उतना सुन्दर नहीं है लेकिन उसके टेसू देखते ही बनते हैं उसका रंग कितना चटक, कितना तीखा होता है ढाक की कणी अर्थात गोंद भी लगभग इसी रंग में होती है और उसका आयुर्वैदिक गुण और भी लाभदायक होता है।
लेकिन दूसरी ओर कैक्टस भी कांटे लिए होता है उसको हाथ लगाना बहुत मुश्किल है अर्थात बेहद खूबसूरत फूल की रक्षा में पहरेदार कांटे ही होते हैं प्रकृति ने हर जगह ऐसा ही बनाया है क्योंकि कठोरता ही सुंदरता की बेहतर सुरक्षा कर सकती है शायद मंदिरों में पत्थरों को सुरक्षा के लिए लगाया गया है यह भी प्रकृति का निर्णय होगा।
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