sujankavi
my poetry मेरी गजलें और कवितायें
सोमवार, 24 मार्च 2025
चापलूसी में प्रतिस्पर्धा कवियों की।
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एक कवि सम्मेलन में एक संचालक महोदय बीच में नीचे आए और मेरे पास बैठ कर कुछ कवियों के नाम पूछे कि कौन कौन से हैं जो अभी नहीं पढ़ पाए मैं जानत...
साहित्यकार भी बेहद झूठ बोलते हैं
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कविता पढ़ना और समझना आज के दौर में बहुत कठिन है क्योंकि कविता में क्या कहा गया है और क्यों कहा गया है यह समझना एक युवा के लिए ज़्यादा पेचीद...
मंगलवार, 11 मार्च 2025
अलग अलग असाधारण होते हैं। सूबे सिंह सुजान
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लोग सब शिक्षा की बात करते हैं और ऐसी बातें करते हुए बहुत अच्छे लगते हैं कभी कभी इन्हीं लोगों को साल भर में चुपचाप अपने तरीके से ध्यान से दे...
जो न देखा, वही असाधारण
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आदमी, आदमी असाधारण हो गई दोस्ती असाधारण। आपसे दोस्ती असाधारण फिर हुई दुश्मनी असाधारण। दोस्तों को परख़ लिया हमने, जो न देखा वही असाधारण। ...
गुरुवार, 30 जनवरी 2025
महाकुंभ पर दुःख भी उपज गया
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दुःखी विषय पर, जो लोग खुश हैं, उन्हीं की पहचान,आप रखना। जिसे जो करना था कर गया वो, तो लाज भगवान,आप रखना। सूबे सिंह सुजान
शुक्रवार, 24 जनवरी 2025
स्वार्थवश अहंकार उपजता है
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हमें अपने अभिमान को समझने में देर लगती है हम दूसरों में दोष न होते भी दिखाने का प्रयास करते हैं लेकिन अपने दोष होते हुए भी स्वार्थवश नकारते...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 9 जनवरी 2025
बौद्ध दर्शन उच्च आदर्श के बावजूद कायरता व अमानवीय बनकर रह गया है
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महात्मा बुद्ध का दर्शन मानवता को शांति प्रदान करने के लिए ही है लेकिन उस दर्शन को केवल सनातन संस्कृति, हिन्दू समाज ने अपनाया था जिस कारण यह...
मंगलवार, 17 दिसंबर 2024
बच्चों के साथ शिक्षक का अनैतिक आचरण
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एक समय में एक शिक्षक प्रार्थना सभा में छोटे छोटे बच्चों के सामने किसी अन्य शिक्षक की कक्षा के बच्चों से जानबूझकर कभी जातीय,कक्षीय,मेरी बात ...
ग़ज़ल - लोग अच्छे,बुरे निकलते हैं।
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हर तरफ रास्ते निकलते हैं पूछ कर आपसे निकलते हैं। हम जहां भी गये जमाने में, आपके ही पते निकलते है। प्यार की टहनियां हरी रहती, रोज़ पत्ते नय...
बुधवार, 11 दिसंबर 2024
कपल केस बनाम सिंगल कर्मचारियों की पत्नियाँ
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सरकारी कर्मचारियों के विभाग में कार्यरत कुछ कर्मचारियों की पत्नियां भी उसी या अन्य विभागों में जब कार्यरत थी और उनके साथ कुछ कर्मचारी ऐसे थ...
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