अपने बचपन में लौटते रहिये,
बच्चों के साथ खेलते रहिये।
अपने माता पिता और रिश्तों को,
बैठकर थोड़ा सोचते रहिये।
बेवजह भी खुशी मिलेगी बहुत,
उंगलियों को मरोड़ते रहिये।
हां! बहुत भागदौड़ रहती है,
ज़िन्दगी है, तो दौड़ते रहिये।
आपको, जब नहीं कोई सुनता,
आप ही आप बोलते रहिये।
अपने बचपन में लौटने के लिए,
कुछ खिलौनों से खेलते रहिये।
जन्म से मौत तक सफ़र अपना,
ज़िन्दगी क्या है सोचते रहिये।
दृष्टि परमात्मा की पाओगे,
निर्बलों को उभारते रहिये।
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