रविवार, 22 मई 2022
जो अपने आप उगता है हम सब वो घास हैं।
जो अपने आप उगता है हम सब वो घास हैं।
इसीलिए हम एक दूसरे के पास हैं। जीवन नियमित है जीवन का नियम है एक दूसरे की समीपता प्रकृति के हर कण में जीवन के गुण मौजूद रहते हैं।
जीवन उत्पन्न होना और जीवन नष्ट होना यही प्रकृति की प्रक्रिया है। जिसमें मनुष्य भी है हम एक दूसरे के पास रहते हैं एक दूसरे के पास रहने का गुण प्रकृति में निहित है। एक दूसरे के पास रहना प्रकृति से प्राप्त गुण है। यह हर प्राणियों में मिलेगा। पेड़-पौधे, जीव जंतु और मनुष्य में, पक्षी, पक्षियों के पास रहेंगे। पेड़- पौधे, पेड़ - पौधों के पास रहेंगे। पशु ,पशुओं के साथ रहेंगे यह प्रकृति में निहित है यह जीवन है मनुष्य के अंदर या अन्य प्राणियों के अंदर दया, क्षमा भाव होना, मनुष्य के पास रहना यह प्राकृतिक गुण है। इसी गुण में जीवन निहित है। इसी गुण में से प्रेम उत्पन्न होता है इसी गुण से दया, क्षमा उत्पन्न होती है जो मनुष्य में वन्य प्राणियों में सभी में निहित है। इसका अंश अलग-अलग मात्रा में हो सकता है परंतु दयालुता, क्षमा भाव, प्रेम भाव सभी प्राणियों में मौजूद है। यह प्रकृति निहित है इसी से जीवन का निर्माण और जीवन का चलना संभव होता है।
जीवन अपने आप उगता है और अपने आप निरंतरता के भाव में रहता है। इसी प्रकार जीवन का निर्माण होता है मनुष्य स्वयं की दिनचर्या में व्यस्त होने के कारण, अपने अल्प ज्ञान के कारण यह भाव रखता है कि जीवन हमसे चलता है परंतु ऐसा नहीं है जीवन का पैदा होना प्रकृति निहित था और है एवं रहेगा। जीवन की निरंतरता प्रकृति निहित है हमें जीवन को सूक्ष्मता से देखना होगा जीवन का निर्माण किस प्रकार हो रहा है यह सूक्ष्मताओं का भाव प्रकृति में निहित है। जिसकी पहचान ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर की है अनेक विद्वानों साहित्यिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक लोगों ने जीवन की सूक्ष्मता के गुणों की पहचान करने के प्रयास किए हैं। जिससे जीवन को महसूस किया जाता है और उसकी प्रकृति का पता चलता है।
एक जीव की उसी जीव के प्रति समीपता, निकटता, सूक्ष्मता जीवन में उल्लास, प्रेम, आनंद को भरती है और जीवन की निरंतरता में सहयोग करती है यह प्रकृति ने सभी जीवों में गुण पैदा करने की क्षमता प्रदान की है और उसका प्रयोग करने की विशिष्टता प्रदान की है।
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