रविवार, 24 अप्रैल 2022
गतिमय ही जीवन है।
सब कुछ गतिमय होना चाहता है भावनाएँ भी स्थिर नहीं रहती पृथ्वी से लेकर,पृथ्वी पर सभी वस्तुएँ गतिमय कम या ज्यादा होती हैं गति जीवन है ।
गति में निरंतरता भी चाहिए परंतु तीव्रता हमेशा नहीं चाहिए हमेशा की तीव्रता शीघ्र विनाशकारी होती है परंतु स्थिरता भी जड़ता है ।
सूर्य गतिमय नहीं है परंतु सूर्य अपनी स्थिरता से भी प्रकाश के माध्यम से ,अपनी उष्मा से आकाश में हर जगह उपस्थित है
सृष्टि नियमों पर आधारित है सम्पूर्ण आकाश व पृथ्वी के हर कण में नियम व्याप्त हैं नियमों का आवश्यकता अनुसार परिवर्तन दृष्टव्य है नियमों का खेल स्वयं संचालित है व यही जीवन आधार भी है ।
मनुष्य द्वारा,राज्यों द्वारा संविधान भी सृष्टि से संग्रहीत है जिससे स्पष्ट होता है जीवन को सुविधाओं सहित व अधिक आयु तक जीना नियमों में रहकर ही संभावित है ।
प्रेम होना भी नियमित है ।
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