उसने कहा कि फूलों,बहारों को देखना
फिर पेड़ और नदी के किनारों को देखना
मैंने कहा कि फूल, कभी आते तो करीब
हम सीख जाते,खूब नजारों को देखना ।
तेरे करीब आ रही बहती हुई नदी
बहकर "सुजान" उसके इशारों को देखना ।
वो चाँद है मगर मैं तो सूखा सा खेत हूँ
उसके नसीब में है हजारों को देखना ।
दिल में कभी कभी ये भी आ जाता है "सुजान "
ग़ज़लें न सुनना,चाँद सितारों को देखना ।
सूबे सिंह सुजान
खूबसूरत गजल 💐
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद जी
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