रविवार, 10 अप्रैल 2022

उसने कहा कि फूलों,बहारों को देखना

उसने कहा कि फूलों,बहारों को देखना फिर पेड़ और नदी के किनारों को देखना मैंने कहा कि फूल, कभी आते तो करीब हम सीख जाते,खूब नजारों को देखना । तेरे करीब आ रही बहती हुई नदी बहकर "सुजान" उसके इशारों को देखना । वो चाँद है मगर मैं तो सूखा सा खेत हूँ उसके नसीब में है हजारों को देखना । दिल में कभी कभी ये भी आ जाता है "सुजान " ग़ज़लें न सुनना,चाँद सितारों को देखना । सूबे सिंह सुजान

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