नगर में संभ्रांत लोगों की जगह सेक्टर कहलाते हैं। सुबह-सुबह उन्हीं सड़कों से गुज़र रहा था लगभग हर सड़क पर घरों से बाहर सफाई करने के बाद पानी को सड़क पर फ़ैला दिया था और कुछ जगह तो लगातार बहाया गया था।
आने जाने वाली हर गाड़ी से पानी के छींटें पैदल यात्रियों, आसपास के साधनों और घरों पर पड़ते थे।
ऐसी स्थिति में हर सड़क भी बहुत जल्दी टूट जाती है। नगर के ऐसे इलाके में हर व्यक्ति स्वयं को पढ़ा लिखा तो समझता है लेकिन समझ कितनी है यह व्यवहार से स्पष्ट होता है व्यवहार केवल वही नहीं होता जो हम आपस में बातचीत या लेन देन को करते हैं, वरन् व्यवहार हर पेड़ पौधों से,पशु पक्षी,सड़कों, गलियों और देश, राष्ट्र की सम्पत्ति, सुन्दरता से भी सरोकार रखता है।
सूबे सिंह सुजान कुरूक्षेत्र हरियाणा
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