दिल की भारी उमस के बाद
जब सब हो जाता है असहनीय
तुम बरस पडती हो तड-तड
यह अहसान होता है तुम्हारा
सारी पुरानी यादें करें गड-गड
और फिर बदल जाता है मौसम
मौसम में घुल जातें हैं हम
फिर हर कोई लगने लगता है अपना
और जन्म लेने लगता है नया सपना
तुम्हारा बरसना,हमारा तरसना
कितना मेल है, दो किनारों के बीच............
सूबे सिहं सुजान
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