sujankavi
my poetry मेरी गजलें और कवितायें
मंगलवार, 5 जुलाई 2011
गजल
तुम्हारी खुशबू चुरा कर बहार आई है
तुम्हीं को अपना बनाकर बहार आई है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें