सोमवार, 3 जुलाई 2023

किसान खेती और पशुपालक दूध उत्पादन करना छोड़ देंगे

 बकरी, भेड़,गाय, भैंस पालकों को दूध उत्पादन करने पर, उसके उत्पादन का सही मूल्य नहीं मिलता है और किसान को अनाज पैदा करने पर उसका उपयुक्त मूल्य नहीं मिलता है या कहें कि उत्पादन में लागत ज्यादा आ रही है।

यह दोनों लोग हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकता पूरी करते हैं और इसके लिए समाज को सबसे पहले उपयुक्त खर्च करना चाहिए।

लेकिन सब कुछ इसके ही विपरीत होता आ रहा है।

समाज का बुद्धिजीवी वर्ग जिसे हम पढ़ा लिखा मानते हैं वह इस तथ्य को या तो समझता नहीं है या जानबूझकर नाटक करता है और इन दोनों लोगों का शोषण करता है।


दूध उत्पादक और अनाज उत्पादक जो अपनी मेहनत शुद्ध वस्तु को तैयार करने में लगाता है हमारा समाज उसको सही मूल्य कभी नहीं देता लेकिन जो इनसे दोनों वस्तु लेकर बीच में मिलावट करता है,उसे अशुद्ध करता है उसको मूंहमांगी कीमत सहजता से दे देता है।

इस कारण कुछ सदियों से यह दोनों उत्पादक अपनी पीढ़ियों से यही काम करवाते करवाते वर्तमान तकनीकी युग में अत्यधिक अनुपयोगी खर्च से अपनी क़मर तोड़ चुका है और समाज इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देता या जानबूझकर शोषण करता है।

इसके परिणामस्वरूप भविष्य में पूरे विश्व में संभव है कि यह दोनों वर्ग खेती करना व दूध उत्पादन करना छोड़ रहे हैं वर्तमान समाजिक परिस्थितियों से अवगत होता है कि इन वर्गों की युवा पीढ़ी विदेश गमन बहुत तेजी से कर रही है और जो यहां पर हैं वह अपने पुस्तैनी काम छोड़ रहे हैं इससे प्रतीत होता है कि कुछ समय पश्चात खेत ख़ाली रहेंगे और पशु उस ज़मीन में चरा करेंगे यह प्रकृति की प्रतिध्वनि प्रक्रिया है और अब धरती वापिस लौटना चाह रही है और यह बहुत आवश्यक भी है सृष्टि को सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह करना पड़ता है यह स्वाभाविक व स्वचालित प्रक्रिया है

इस मंथन में हमें यह पता चलता है कि जो वर्ग पढ़ा लिखा माना जाता है या कहें कि वही यह स्वयं घोषित करता है वह प्राक्रतिक प्रक्रिया में मूर्ख ज्यादा प्रतीत होता है क्योंकि वह अत्यधिक स्वार्थी है।

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