सारे सवाल हमें स्वयं से करने थे लेकिन हम सारे सवाल दूसरों से करने में समय नष्ट करते रहते हैं।
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सारे जवाब भी हमें ही देने थे
लेकिन हम दूसरों से मांगने में समय नष्ट करते रहते हैं।
वे लोग असली अपराधी हैं
जो ग़लत मानसिकता को तैयार करके मानव से मानवता,
समाज से सामाजिकता,
वातावरण से स्वच्छता,
राष्ट्र से राष्ट्रीयता,
प्रेमी, प्रेमिका से प्रेम,
व्यवहार से व्यवहारिकता,
हृदय से सहृदयता,
आग से उष्णता,
जल, वायु से निर्मलता,
ऐसी अनेक वस्तुओं से उनके होने का विशेष गुण अपने स्वार्थ के लिए विशेष रूप से छीन रहे हैं।
विज्ञान हमने नहीं बनाया है अपितु प्रकृति की प्रक्रिया में मौजूद है हम उसे जानने के प्रयासों में रत हैं और वर्तमान में हम शीघ्रता से जान पा रहे हैं।
©सूबे सिंह सुजान
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