शनिवार, 4 जून 2022
मनुष्य विज्ञान का भरपूर प्रयोग कर रहा है लेकिन जीवन को नष्ट कर रहा है।
लोग असली दूध पीना ही नहीं चाहते, दरअसल लोग नकली दूध को पसंद करते हैं। नकली दूध कम कीमत में बाजार में उपलब्ध होता है। असली दूध यदि चाहिए तो वह ₹200 तक प्रति लीटर ही असली दूध मिल सकता है।
आज बहुत तेजी से हमारे गांवों में पशु पालन करने वाले लोग पशुपालन धंधे को बंद कर रहे हैं। यह बहुत तेजी से हो रहा है और वास्तविकता यह है हालात ऐसे बन गए हैं कि पशुपालकों को यह धंधा बंद कर ही देना चाहिए ताकि हमारे समाज को अक्ल आए कि असली दूध की कीमत कैसे मिलती है असली दूध कैसे प्राप्त होता है क्योंकि जो पशुपालक आज असली दूध पशुओं से तैयार करते हैं वह प्रतिवर्ष आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं, कर्जे में डूब रहे हैं।
दरअसल लोग पैसा उगाना पसंद करते हैं खाना,भोजन के लिए फसलें उगाना पसंद ही नहीं करते, आज समय ऐसा आ गया है कि हम फलों के पौधे लगाना पसंद नहीं करते लेकिन अच्छा फल पसंद करते हैं।
इसी प्रकार पशुपालन बंद हो रहा है और दूध अच्छा सब चाहते हैं पूरे समाज में पैसा उगाने की दौड़ जारी है लोग पैसा पैसा उगा रहे हैं और भोजन खत्म हो रहा है वास्तविक जो भोजन मिट्टी से पैदा होता है वह खत्म हो रहा है धीरे-धीरे समय ऐसा आने वाला है कि लोग पैसे पैसे लेकर घूमेंगे और भोजन नहीं मिलेगा। इस तरह से भुखमरी आएगी और पृथ्वी पर मनुष्य बहुत कम रह जाएगा और वास्तविकता में यह होना प्राकृतिक है। निश्चित है। यह होना भी चाहिए क्योंकि मनुष्य पृथ्वी की अनदेखी कर रहा है मिट्टी को जहरीला बना रहा है मृदा मिट्टी खत्म हो चुकी है भोजन के लिए फसलें अब मिट्टी नहीं दे पाएगी, हमने अंधाधुंध जंगलों को नष्ट कर दिया, मिट्टी से सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर दिया है।
मनुष्य विज्ञान का भरपूर प्रयोग कर रहा है लेकिन जीवन को नष्ट कर रहा है।
बहुत गहरी बात कही आपने आदरणीय , अगर इसपे जल्द कोई फैसला नहीं लिया गया तो विनाश निकट है
जवाब देंहटाएंजी, यह अति आवश्यक है।
जवाब देंहटाएंसमय रहते मनुष्य को यह समझना होगा।