कंक्रीट के जंगल को दुर्भाग्य से बहुत लोग घर समझते हैं और मिट्टी रूपी जीवन को त्याग कर रहते हैं।
रिश्ते, संवेदनाओं को क़त्ल करके रूपयों की उड़ान पर रहते हैं।
यह स्तर मनुष्य को पशुओं, पक्षियों से भी नीचे गिरा देता है। मनुष्य जीवन बौद्धिक है, प्राणियों में श्रेष्ठ है लेकिन यह मनुष्य की भूल साबित हो रही है क्योंकि श्रेष्ठ तो मनुष्य के अतिरिक्त अन्य जीवों में बेहतर है।
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