शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

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वह घर के आंगन को साफ़ कर रहा है।  आसपास खडी़ घास के पौधों को क़रीने से साफ़ कर रहा है । कुछ फूल के पौधे लगा रहा है उनको किस जगह लगाना है यह बार बार सोचकर,समझकर निश्चित करता है। सोचता है यहां यह ग़ुलाब ठीक है, वहां पर चमेली और कहीं कुछ तो कहीं कुछ, उसके मन में उदेड़बुन चल रही है वह यहां से गुजरने पर शायद इस बात की तारीफ करे  या इस बात की, वह पौधों को लगाने से पहले सोचता है कि कौन सा पौधा कहां उसको अच्छा लगेगा,वो आएगी तो उसे मेरे घर आने के रास्ते में कोई तक़लीफ न आए दुनिया के क्या हाल हैं कौन क्या कर है सूरज कब आया,कब गया, रास्ते से कौन कौन गुज़रा, हवा कब चल रही है,कब नहीं चल रही है,कितनी गर्मी है या सर्दी है उसे अन्य कोई अहसास नहीं केवल एक उसके आने के अहसास के अलावा।

वह आए या न आए लेकिन वह उसके आने की तैयारी कर रहा है अपने अंदाज से, अपना समय गुजार रहा है वह अपने मन में उसके लिए  पूरी ुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुदुनिया बसाए हुए
 है । 

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