शनिवार, 28 दिसंबर 2019

भारतीय संस्कृति के गुण

<इस देश में मानव के हर प्रकार के व्यवहार को संस्कृति, त्योहार में ढाला गया है इसका अर्थ यह है कि मानव का यह व्यवहार प्रारंभ से ऐसा ही है और ऐसा ही रहेगा , हाँ केवल वस्तुएँ,तकनीक बदलती हैं । रावण,राम, सब हमारे चरित्र हैं यह त्योहार हमें प्रतिबिंबित करते हैं हम स्वयं को विद्वान प्रदर्शित करते हुए हर पुरातन कथा, ग्रंथ आदि में कमियाँ निकालते हैं न कि हम विद्वान ही होते हैं दरअसल हम कंई बार वास्तविकता को पूर्णतः समझ पाने में असमर्थ होते हैं सबकी बुद्धिलब्धि अलग अलग स्तर पर रहती है यह प्राकृतिक ही है हम कोई इंजेक्शन देकर किसी का बुद्धि स्तर नहीं बढ़ा सकते केवल शिक्षा ही एक जरिया है और यह बौद्धिक है न कि तकनीकी । मनुष्य प्रकृति से ही हर ज्ञान प्राप्त करता रहा है और करता रहेगा वास्तव में मनुष्य का अपना निर्माण कुछ नहीं है सब कुछ प्रकृति से ग्रहण करता है । सूबे सिंह सुजान dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">

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