रविवार, 7 अप्रैल 2019
निबंध - निठल्लों का महिमा गान
निठल्लों की महिमा
निठल्ले हमेशा महान काम करके ही दम लेते हैं वे जहाँ भी घुस जाते हैं तो चिपक ही जाते हैं वे कमीज पर उस धूल कण की तरह चिपके रहते हैं जिसका कमीज पहनने वाले को आभास ही नहीं होता और इस तरह वो कमीज पहना आदमी भी उसी निठल्ले की महिमा में तालियाँ बजाता रहता है
शाबाशी और पुरस्कार निठल्लों पर बहुत मेहरबान होते हैं क्योंकि निठल्ले बातें बहुत मीठी बनाते हैं,चमचियाँ बहुत घुमाते हैं और चमचियों में कुछ मिठास चिपकी होती है जिससे अधिकारी पल में चिपक जाते हैं और पुरस्कार की बौछार करते हैं निठल्लों की पौ बारह हो जाती है कुछ लोग हमारे जैसे बेक़ार में परेशान होते रहते हैं और अपना ख़ून जलाते रहते हैं कि ये काम नहीं करते,वो नहीं करते और वाह वाह सारी इनके पास जाकर गोदी में कैसे बैठ जाती है अब हम जैसे बेवकूफों को कोई समझाये कि निठल्लों को मिट्टी,धरती से कभी कोई मतलब रहा ही नहीं वे इस धरा के है ही नहीं तो
धरातल से उन्हें न मतलब था और न है
वे तो रहते ही धरातल से ऊपर हैं वायु और आकाश ही उनका घर,प्राण,भोजन व मल त्याग का स्थान है वे ऊपर उठे हुए लोग होते हैं उनमें भार नहीं होता वे निभार होते हैं
इनको हमेशा अपनी पूजा पसंद होती है इनको इनके बारे में केवल एक ही बात कहनी होती है वह है इनकी तारीफ़ बाक़ी कुछ कहा तो कहने वाले को आफ़त से सामना करना ही पड़ेगा ।
इसलिए सभी मनुष्य जितनी श्रद्धा से इनकी महिमा कर सकता है उतनी ही श्रद्धा से करे लेकिन करे जरूर इसी में आपके जीवन व कुटुंब का भला है ।
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