शनिवार, 3 सितंबर 2011

गजल-11

क्या हुआ देख भावनाओं का
हो गया खून कल्पनाओं का
जड बने अब विचार लोगों के,
युग गया बीत चेतनाओं का
हो गया हूँ शिकार फिर देखो,
जिन्दगी में विडम्भनाओं का
कातिलों की शरण बने मंदिर,
कुछ नहीं लाभ वन्दनाओं का
गर्म लोहा उठा ले हाथों में,
मत मना रोष यातनाओं का
प्यार का देवता सिहरता है,
हो रहा मान वासनाओं का
प्रेम गायक सुजान ही होगा,
नव सृजनशील योजनाओं का
     सूबे सिहं सुजान
   09416334841
  कुरूक्षेत्र
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