बुधवार, 31 अगस्त 2011

गजल-9-

गजल-9-
आपका ये साल गुजरे पहले से अच्छी तरह

जिन्दगी की सोच निखरे पहले से अच्छी तरह

दे रहा हूँ मैं तुम्हें शुभकामना नव वर्ष की,

मुस्कुराहट लब पे ठहरे पहले से अच्छी तरह

आबरू लुटती है अपनी अब सरे बाजार जबकि

शहर में हैं आज पहरे पहले से अच्छी तरह

आज बच्चों को बिठाने की जगह कम पड गई

जबकि स्कूलों में हैं कमरे पहले से अच्छी तरह

रोशनी की जीत हो भागे अंधेरा दूर - दूर

आसमाँ से धूप उतरे पले से अच्छी तरह

वो किसी के प्यार की बारिश में भीगे हैं सुजान,

दिख रहे हैं उनके चेहरे पहले से अच्छी तरह

सूबे सिहं सुजान

09416334841

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