मंगलवार, 23 अगस्त 2011

गजल-8

तुमसे मिलकर लगता है मौसम सुहाना हो गया
देख तुमको दिल ये बोला मैं दिवाना हो गया
जिनसे मिलने की कभी उम्मीद भी हमको न थी
प्यार करके उनसे भी मिलना मिलाना हो गया
दूसरों को आजमाते- आजमाते यूँ हुआ,
जिन्दगी में आज खुद को आजमाना हो गया
दोस्तो आओ हँसे मिल बैठ कर फिर एक साथ
आजकल मुश्किल बहुत ही मुस्कुराना हो गया
बातें बेमकसद की ही करते रहोगे क्या सुजान,
काम भी कर लो बहुत हँसना हँसाना हो गया
सूबे सिहं सुजान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें