गुरुवार, 14 जुलाई 2011

दिल के करीब गजल

क्या हुआ देख भावनाओं का
हो गया खून कल्पनाओं का
जड बने अब विचार लोगों के,
युग गया बीत चेतनाओं का
हाय आँसू नही बहा सकता,
दुख यहाँ देख वेदनाओं का
हो गया हूँ शिकार फिर देखो,
जिन्दगी में विडम्भनाओं का
कातिलों की शरन बने मन्दिर,
कुछ नहीं लाभ वन्दनाओं का
आदमी भी सदा रहा कैदी,
ईश्वर की उपासनाओं का
गरम लोहा उठा ले हाथों में,
मत मना रोष यातनाओं का
प्यार का देवता सिहरता है,
हो रहा मान वासनाओं का
प्रेम गायक सुजान ही होगा,
नवसृजनशील योजनाओं का
                                       सूबे सिहं सुजान

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