रविवार, 29 सितंबर 2024

कविता - लड़कों की कविताएं

 कविता - लड़कों की कविताएं 


लड़कों का दर्द है कि लड़के लड़कियों की कविता ,उनका दर्द देखकर पसंद न करके उनकी फोटो देखकर पसंद करते हैं। और लड़के, लड़कों की कविता पसंद नहीं करते।

जबकि लड़कों की कविता में ज्यादा दर्द होता है।

लड़कियां लड़कों की कविता पसंद इसलिए नहीं कर पाती क्योंकि वो समाज से डरती हैं और इस तरह लड़कों की लिखी कविता चुपचाप पढ़ी जाती हैं।

लेकिन उन पर सार्वजनिक टिप्पणियां नहीं आती।


सूबे सिंह "सुजान" 

 कुरूक्षेत्र,


 हरियाणा

गुरुवार, 12 सितंबर 2024

चुनावों से पहले डराने लगे हैं।


 हमें अपनी ताक़त दिखाने लगे हैं 

चुनावों से पहले डराने लगे हैं।


बुरों को सही, जो बताने लगे हैं 

ये माहौल कैसा बनाने लगे हैं?


चुनावों के पीछे वो क्या क्या करेंगे,

अभी से जो लड़ने लड़ाने लगे हैं।


वो जनता को कल कैसा आराम देंगे 

सड़क बंद करके दिखाने लगे हैं।


अरे आम लोगों ज़रा ध्यान रखना,

इधर कौन बदमाश आने लगे हैं।


कलम के सिपाही भी अब भेष बदले,

हमें इस समय आज़माने लगे हैं।


सूबे सिंह सुजान

कवि गोष्ठी 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

मेरी आलोचना जरूरी है।

मेरी आलोचना जरूरी है 

कुछ नया सीखना जरूरी है।


शब्द दर शब्द सीखना होगा,

शब्द की साधना जरूरी है।


अब रचो मानवीय तकनीकें,

क्योंकि संवेदना जरूरी है।


मूंग,अरहर,उड़द तो हैं लेकिन,

दाल में कुछ चना जरूरी है।


नल खुला छोड़ दे अगर टीचर,

बच्चों को देखना जरूरी है।


मेरे अंदर कमी हजारों हैं,

इस तरह सोचना ज़रूरी है।


मैं ग़ज़ल में गिलोय रस भर दूं,

अब नयी योजना जरूरी है।


सूबे सिंह सुजान