शुक्रवार, 29 मार्च 2024

आज तक जो हुआ, वही होगा। सूबे सिंह सुजान

 आज तक, जो हुआ,वही होगा।

नाम इसका ही ज़िन्दगी होगा।

हाथ ख़ाली इमानदारी के,

साथ कोई न आदमी होगा।

लूटने वाला,हंस भी लेता है,

सच्चा इंसान ही दुखी होगा।

झूठ से काम कर लिया उसने,

सबको लगने लगा,सही होगा।

इसके आकार पर न जाईये,

आज नाला है कल नदी होगा।


सूबे सिंह सुजान


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