शुक्रवार, 29 मई 2020

बच्चा एक बेतरतीबी पहाड़ होता है उसे उम्र भर कटना होता है ।

मनुष्य का बच्चा जब जन्म लेता है तो वह एक बेढ़ंगा,बेतरतीब सा पहाड़ होता है । उसको आदमी बनने के लिए उम्र के बढ़ते बढ़ते कटना होता है ,घिसना होता है जो जो जितना घिसता है वह उतना ही आदमी बनता रहता है । उसको बहुत शिल्पकारों के हाथों से गुजरना होता है लेकिन यह उस पर निर्भर करता है वह कम या ज्यादा शिल्पकारों के हाथों में जाता है । जो जितने ज्यादा शिल्पकारों के हाथों में जाएगा वह उतना ज्यादा प्रतिशत आदमी बन पाएगा । आदमी बनने के लिए बच्चे को शारीरिक आकार बढ़ाना जरूरी नहीं है हाँ उसको आदमीयत का पहाड़ घिस घिस कर छोटे छोटे टुकड़ों में बदलना होता है जितने छोटे टुकड़े अपने कर पाएगा उतना ही आदमी बनकर काम आएगा । तुम्हें हमेशा घिसते रहना चाहिए टूटना ही बौद्धिक है टूटना काम आना होता है दर्द जीने को खूबसूरत बनाता है दर्द आदमीयत में रंग भरता है उसको चित्रित करता है और आकाश में किरण बनाकर फैला देता है जो कभी न कभी इंद्रधनुष बनकर चमकता है । सूबे सिंह सुजान

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