मंगलवार, 19 नवंबर 2019
तमाशा एक फंतासी दुनिया है ।
तमाशा एक फंतासी है और लोगों को यह बहुत पसंद आता है जब कभी किसी कार्यक्रम में या सड़क,नुक्कड़ पर कोई व्यक्ति यह करे तो लोग बहुत संख्या में बिना बुलाये आ जाते हैं लेकिन यदि कोई बुद्धिजीवी, संस्कारित कार्यक्रम करे तो सुनने वाले नहीं मिलते हैं ।
ऐसा क्यों ?
ऐसा इसलिए क्योंकि लोग सच का सामना नहीं करना चाहते हैं अपितु वह तमाशे से ही मन बहलाना चाहते हैं क्योंकि वास्तविकता से सामना करना पड़ेगा,कार्य करना पड़ेगा,जवाब देना पड़ेगा । लोगों की यही प्रकृति है वे आरामदायक जीवन जीना चाहते हैं वे संघर्ष से भागते हैं ।
एक उदाहरण वर्तमान जटिल समस्या का ही ले लेते हैं कि आजकल लोग प्रदूषण से बहुत परेशान हैं सोशल मीडिया पर हायतौबा भी खूब करते हैं नारे भी लगाते हैं लेकिन बहुत कम लोग मिलेंगे नारे लगाने वाले भी वे भी केवल फोटो के शौकीन ही ।
लेकिन समस्या से सामना करना कोई नहीं चाहता, उसका हल निकालना कोई नहीं चाहता हाँ केवल एक दूसरे को दोष दुनियाभर का देते हैं ।
कोई व्यक्ति स्वयं वातावरण के लिए काम करता नहीं मिलता जो किसान अपने कृषि कार्यों के करने के वशीभूत ही सही साथ साथ में बेहतर वातावरण भी तैयार करते हैं उनको उसका पुरस्कार कभी नहीं मिलता लेकिन साल में एक बार फसल अवशेष जलाने पर जुर्माना,बुराई,निशाना जरूर मिलता है लेकिन दूसरी तरफ प्रतिदिन पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते कारखाने, ए सी, वाहन, शहरीकरण का कूड़ा,घर से बाहर,सड़क पर,सार्वजनिक जगहों पर बेशुमार पॉलिथीन, प्लास्टिक का बेवजह प्रयोग करने वाले लोगों का कोई दोष ही नहीं,कोई जुर्माना ही नहीं ।जो किसान अपनी फसलों को से साल भर मुफ्त में शुद्ध ऑक्सीजन देता है ,मेढ़ों पर पेड़ लगाता है और उनसे फसल उत्पादन भी कम कर लेता है लेकिन ऑक्सीजन देता है उसको कभी कोई पुरस्कार नहीं,सम्मान भी नहीं मज़े की बात है कोई एन जी ओ बनाता है चार फोटो व समाचार लगाता है किसी नेता को बुलाता है और पुरस्कार पर्यावरण पर पा लेता है इससे भी मज़े की बात यह होती है उन्हें पेड़ों की,फसलों की,पर्यावरण की एक प्रतिशत भी जानकारी नहीं होती ।
अतः लोग केवल तमाशा देखना चाहते हैं सो इसलिए कुछ लोग तमाशा करके खूब धन्धा कर रहे हैं ।
सूबे सिंह सुजान
कुरूक्षेत्र
हरियाणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें