तन्हा से छत पे बैठे हो, ठीक ठाक तो हो ?
क्या बात?खुद से लड़ते हो ठीक ठाक तो हो?
जगजीत सिंह को सुनते हो ,ठीक ठाक तो हो ?
ग़ालिब के शेर पढ़ते हो ठीक ठाक तो हो?
क्यों खुद ही हँसने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?
बिन बात रोने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?
दुनिया की बातें करना,दुनिया की बातें सुनना,
तुम किससे बात करते हो ठीक ठाक तो हो?
सुजान $μj@n
क्या बात?खुद से लड़ते हो ठीक ठाक तो हो?
जगजीत सिंह को सुनते हो ,ठीक ठाक तो हो ?
ग़ालिब के शेर पढ़ते हो ठीक ठाक तो हो?
क्यों खुद ही हँसने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?
बिन बात रोने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?
दुनिया की बातें करना,दुनिया की बातें सुनना,
तुम किससे बात करते हो ठीक ठाक तो हो?
सुजान $μj@n
सभी स्थितियां मन की उदासी को इंगित करती हैं |ठीक कैसे हो सकता है कोई ये सब करने वाला ? अच्छी गजल आदरणीय |
जवाब देंहटाएंआपकी संवेदना ग्राहया है ।
हटाएंआपके विचारों पर गहन अनुभूति रखता हूँ ।
धन्यवाद
सब कुछ खो कर अपनी दुनिया में ठीक ठाक रहना कोई हंसी खेल नहीं होता, फिर भी इसके बावजूद जो ठीक ठाक है, उसे मेरा सलाम
जवाब देंहटाएंव्याकुल पथिक,जी आपकी संवेदना व टिप्पणी के लिये आभार
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